पी. टी. उषा का जीवन परिचय | P. T Usha Biography in Hindi

P. T Usha Full Name, Education, Age, Height, Hobbies, Family, And Medals in Hindi

चलिए आज एक बहुत ही महान शख्सियत के बारे में करते है, “P. T Usha” (Pilavullakandi Thekkeparambil) आज ये कोई पहचान के मोहताज नहीं है,आज इनको कौन नहीं जानता, दोस्तों ये भारत ही नहीं पूरी दुनिया की सबसे अच्छे एथलीटों में इनका नाम आता है। इनके असाधारण प्रतिभा के कारण इन्हे आज क्वीन ऑफ़ इंडिया ट्रैक और प्योली एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता है, साथ में इन्हे उड़न परी की भी संज्ञा दी गयी है।

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पी. टी. उषा की जीवनी | P. T Usha Biography in Hindi

पूरा नाम (Full Name)पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल (पी. टी. उषा)
अन्य नामपय्योली एक्सप्रेस, गोल्डन गर्ल, उड़न परी,
जन्म (Birthday)27 जून, 1964
जन्म स्थान (Birth Place)पय्योली, कोज्हिकोड़े, केरल
उम्र (Age)57 वर्ष (2021)
पिता का नाम (Father Name)इ पी एम् पैतल
माता का नाम (Mother Name)टी वी लक्ष्मी
पति का नाम (Husband Name)वी श्रीनिवासन
बेटे का नाम (Son Name)उज्जवल
पेशा (Profession)ट्रैक एवं फील्ड एथलीट
कोंच का नाम (Coach)ओ.एम. नाम्बियार
धर्म (Religion)हिन्दू
लम्बाई (Height)5 फीट 7 इंच

पी. टी. उषा का प्रारंभिक जीवन | P. T Usha Life Story in Hindi

पी. टी. उषा का जन्म पय्योली, कोज्हिकोड़े, केरल, भारत में 27 जून 1964 को एक कपडे व्यापारी के घर में हुआ था, इनके पिता इ पी एम् पैतल जो की एक कपडे के व्यापारी है। एवं माता टी वी लक्ष्मी गृहिणी है। इनके बारे में ऐसे कहा जाता है। ये अपने बचपन के दिनों में बहुत बीमार रहा करती थी पर धीरे धीरे बाद में इन्होने अपनी सेहत सुधार ली ।

स्कूल के दिनों से ही उषा को खेल कूद में मन लगने लगा था, ये लम्बे लम्बे छलांग बहुत ही आसानी से लगा लेती थी, धीरे धीरे इन्होने स्कूल में होने वाली खेल प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया, उषा जब 7 वीं क्लास में पढ़ती थी तो इन्होने अपने ही स्कूल के चैंपियन छात्रा को रेस में हरा दिया था, इससे इनका आत्मविश्वास बढ़ा, और बाद में इनका रुझान इस खेल के प्रति और बढ़ गया।

साल 1976 में केरल सरकर ने महिलाओं के खेल के लिए एक स्कूल खोला, और उषा को इस डिस्ट्रिक्ट लेवल के खेल प्रतियोगिता में अपने जिले का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। वर्ष 1977 में एक खेल पुरुस्कार वितरण समारोह के दौरान इनके बाद में बने पहले कोच ओ.एम. नाम्बियार की नजर पी. टी. उषा पर पड़ी। वो उषा के खेल से बहुत ही प्रभावित हुए थे।

बाद में उसी साल से इन्होने उषा को खेल प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया उसके बाद उषा ने ढेर सारे जूनियर प्रतियोगिताओं में मेडल जीता, इसके बाद पी. टी. उषा पहली बार लाइमलाइट में तब आयी जब साल 1979 में उषा ने नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में चैंपियनशिप जीती, इसके बाद उषा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। और लगातार बुलंदी को छूते चली गयी। 

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पी. टी. उषा का अंतराष्ट्रीय करियर | P. T Usha International Career

पी. टी. उषा ने अंतराष्ट्रीय करियर के शुरुआत वर्ष 1980 में पाकिस्तान के करांची में हुए पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट से की थी, इस ओपन नेशनल मीट में उषा ने कुल 4 गोल्ड मैडल अपने नाम कर पाकिस्तान में भारत का नाम ऊँचा कर दिया। साल 1980 में रूस के  मास्को ओलंपिक्स में इनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही।

साल 1982 में हुए उषा ने वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट में एक गोल्ड एवं एक सिल्वर मैडल जित अपने किया। इसी वर्ष दिल्ली में हुए एशियाई  खेलों में उषा ने 100 एवं 200 मीटर की रेस में सिल्वर मैडल जित अपना तथा भारत का नाम ऊँचा किया।

इसके बाद उषा ने आने वाले वर्षो में अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए जमकर पसीना बहाया, और अपने खेल में और अधिक सुधर लायी। वर्ष 1983 में कुवैत सिटी में हुए एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पिनशिप में 400 मीटर की रेस में गोल्ड जीतकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया।

इसके बाद वर्ष 1984 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक खेल में पी. टी. उषा मात्रा 1/100 सेकंड के मार्जिन से हार गयी एवं ब्रोंज मैडल नहीं जित पायी, और चौथे स्थान पर रही। हालाकिं इस ओलंपिक में पी. टी. उषा भारत के तरफ से फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला एथलीट बनी थी।

वर्ष 1985 में इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप में उषा ने कुल छह मैडल अपने नाम किये, जिसमे पांच गोल्ड एवं एक ब्रोज़ मैडल जित एक नए रिकॉर्ड कायम किया। वो एशियन चैंपियनशिप में किसी एक इवेंट में सबसे ज्यादा गोल्ड मैडल जितने वाली एथलीट बन गयी। इसके बाद साल 1986 में सियोल में हुए 10 वे एशियाई खेल में भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखते हुए इन्होने कुल 4 गोल्ड एवं एक सिल्वर मैडल जित कर भारत का नाम रोशन किया।

इसके बाद वर्ष 1989 में दिल्ली में हुए ‘एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट’ में  4 गोल्ड एवं 2 सिल्वर मैडल पी. टी. उषा ने जीता। साल 1990 के चीन के बीजिंग में हुए एशियन गेम्स में उषा ने कुल तीन सिल्वर मैडल जीता।

साल 1991 में पी. टी. उषा ने वी श्रीनिवासन नामक व्यक्ति से शादी कर ली, इनका एक बेटा भी है जिसका नाम इन दोनों ने उज्जवल रखा।

पी. टी. उषा ने 7 सालो के बाद कमबैक कर वर्ष 1998 में जापान के फुकुओका में आयोजित एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट में हिस्सा लिया और इन्होने 200 एवं 400 मीटर के रेस में ब्रोंज मैडल जीता। और अंततः साल 2000 में इस महान खिलाड़ी ने एथलेटिक्स से सन्यास ले लिया। आज पी. टी. उषा दुनिया करोडो महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है। 

अब फ़िलहाल उड़न परी के नाम से मशहूर पी. टी. उषा अपने स्पोर्ट्स सेंटर के जरिये भारत के नौजवान पीढ़ी को प्रक्षिशित कर इस खेल के लिए तैयार कर रही है।

पी. टी. उषा को मिले अवार्ड्स | P. T Usha Awards

  • साल 1984 में उषा को एथेलेटिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया।
  • पी. टी. उषा को साल 1985 में देश के चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया।
  • वर्ष 1985 में ही इन्हे जकार्ता एशियाई दौड़ प्रतियोगिता की सर्वश्रेष्ट वीमेन धाविका का ख़िताब दिया गया।
  • लगातार वर्ष 1984, 1985, 1986, 1987 एवं 1998 में इन्हे एशिया का सर्वश्रेष्ठ धाविका का ख़िताब दिया गया।
  • रेलवे के द्वारा सर्वश्रेष्ठ रेलवे खिलाड़ी का मार्शल टीटो पुरुस्कार दिया गया।
  • वर्ष 1986 के एशियाई गेम्स के बाद इन्हे “एडिडास गोल्डन शू अवार्ड” के तरफ से सर्वश्रेष्ठ महिला धावक का ख़िताब दिया गया।
  • वर्ष 1985, 986 में बेस्ट एथलीट का इन्हे “वर्ल्ड ट्रॉफी” से भी नवाजा गया।
  • केरल खेल प्रत्रकार से भी इन्हे सम्मानित किया गया।
  • एथेलेटिक्स में इनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए 30 अंतराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है।

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