Sustainable Development in Hindi : सतत विकास का मतलब, महत्व और लक्ष्य

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं सतत् विकास क्या है (Sustainable Development in Hindi) सतत विकास का मतलब होता है कि जो भी प्रकृति संसाधन है उसका इस्तेमाल आप किस प्रकार करेंगे ताकि आने वाले पीढ़ी को इन संसाधनों के साथ कोई समझौता न करना पड़े। अगर आसान शब्दों में कहें तो उन्हें संसाधन की कमी ना हो।

साल 2015 में इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से 17 सतत विकास SDG (Sustainable Development goals) तथा 169 प्रयोजन अंगीकृत किये गए हैं। इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक शिखर सम्मेलन में लिया गया था इससे जुड़ी मीटिंग साल 2015 में 25 से 27 सितंबर को हुई जिसमे वर्ष 2016 से 2030 तक 17 लक्ष्य सुनिश्चित किए गए थे। इसमें 193 देश शामिल हुए थे।

सतत् विकास क्या है?

sustainable development in hindi

आने वाली पीढी के आवश्यकताओं से समझौता किये बिना, वर्तमान पीढी के आवश्यकताओंं को पूरा करने हेतु विकास ही सतत् विकास है कहलाता है जिसे हम लोग संधारणीय विकास या टिकाऊ विकास कहते हैं। सतत् विकास (Sustainable Development) विकास की ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत जितने भी प्रकृति संसाधन है उसका इस्तेमाल आपको ऐसे करना है।

ताकि आने वाले पीढ़ी को भी प्रकृति की संसाधन का इस्तेमाल करने का अवसर मिल सके। जैसा कि आप लोग जानते हैं कि इस पृथ्वी पर प्रकृति संसाधनों अपार भंडार है और हम उन सभी चीजों का इस्तेमाल अगर अच्छी तरह से करेंगे ताकि संसाधन को हम बचा सके।

क्योंकि आने वाले पीढ़ी को अगर संसाधन की कमी होती है उन्हें जीवन व्यतीत करने में काफी परेशानी और दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। जिस प्रकार पृथ्वी पर जनसंख्या की वृद्धि हो रही है तो ऐसे में अगर हमने प्रकृति संसाधन जैसे कोयला पानी गैस इत्यादि का उपयोग अगर अच्छी तरह से नहीं किया तो यकीन मानिए आने वाले पीढ़ी को इसका नाम ही सिर्फ सुनने को मिलेगा। 

सतत विकास का क्या महत्व है? (Meaning of Sustainable Development in Hindi)

सतत विकास का महत्व पूरे मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पृथ्वी पर जितने प्रकार के प्रकृति संसाधन है उसके ऊपर सिर्फ वर्तमान पीढ़ी का ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भी हक है ऐसे में अगर वर्तमान पीढ़ी इसका इस्तेमाल अच्छी तरह से नहीं करती है तो इन संसाधनों का अस्तित्व ही पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा। 

ऐसे में आने वाले पीढ़ी इन संसाधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे जिससे उनका जीवन काफी कठिन हो जाएगा इसका पूरा उत्तरदाईत्व हमारे ऊपर आएगा इसलिए हमारा परम कर्तव्य बनता है कि हम पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार के प्रकृति संसाधनों का उचित तरीके से इस्तेमाल करें ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसका लाभ उठा सकें और अपने जीवन को आसान और सुगम बना सके। 

सतत् विकास का उद्देश्य

सतत् विकास का निम्नलिखित उद्देश्य है उन सब का विवरण मैं आपको नीचे दे रहा हूँ जो इस प्रकार है। 

  • लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा और आर्थिक रूप से मजबूत करना
  • वातावरण को स्वच्छ और शुद्ध करना
  • आर्थिक विकास को प्रोत्साहित लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि प्रकृति साधन के भंडार सुरक्षित और सुरक्षित रहे
  • पर्यावरणीय भण्डार तथा भविष्य की पीढ़ियों को हानि पहुंचाये बिना मानवीय एवं भौतिक पूंजी के संरक्षण और वृद्धि के लिये आर्थिक विकास को तीव्र करने का लक्ष्य रखना

सतत विकास की आवश्यकता क्यों है?

सतत विकास की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है जो इस प्रकार है। 

  • प्रदूषण को कम करने के लिए आज के तारीख में सतत विकास की परम आवश्यकता है क्योंकि जिस प्रकार देश और दुनिया में प्रदूषण बढ़ रहा है अगर उसे रोका ना गया तो यकीन मानिए 1 दिन इस पृथ्वी से मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा इसलिए हमें प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें सतत विकास का उपयोग करना चाहिए। 
  • जैसा कि जानते हैं कि पृथ्वी पर प्रकृति संसाधनों का अपार भंडार है ऐसे में अगर आप इन संसाधनों का उचित उपयोग नहीं करते हैं तो आने वाली पीढ़ी प्रकृति संसाधन का उपयोग करने का अवसर ही नहीं मिलेगा इससे उनका जीवन स्तर काफी दुर्गम और कठिन हो जाएगा इसलिए भावी पीढ़ी को प्रकृति संसाधन हम विरासत के तौर पर सुपुर्द कर सके इसके लिए सतत विकास की आवश्यकता है। 
  • प्रकृति संसाधनों का उपयोग आपको ऐसे करना है कि उसकी कमी ना हो सके जैसा कि आप लोग जानते हैं कि अगर आप किसी भी चीज का अधिक दुरुपयोग करते हैं तो उसके गंभीर परिणाम जरूर आते हैं इसलिए वातावरण की सुरक्षा के हेतु भी आपको और किसी साधनों का दुरुपयोग नहीं करना है। 
  • जिस प्रकार पृथ्वी की जनसंख्या बढ़ रही है ऐसे में अगर प्रकृति संसाधनों का उचित तरीके से अगर इस्तेमाल ना हुआ तो आने वाले पीढ़ी को भोजन, पानी, ऊर्जा तथा दूसरे प्रकार के संसाधन की भारी कमी हो जाएगी इससे मानव का जीवन खतरे में पड़ जाएगा इसलिए भविष्य में मानव को संसाधनों की कमी ना हो सके इसके लिए सतत विकास की आवश्यकता है। 
  • दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या काफी तेजी के साथ अपना प्रभाव विस्तारित कर रही है ऐसे में अगर ग्लोबल वार्मिंग को रोकना है तो इसके लिए सतत विकास की आवश्यकता है क्योंकि सतत विकास ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाले तत्वों को नष्ट करती है इससे वायुमंडल का तापमान नियंत्रित रहता है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न नहीं होती है। 
  • सतत विकास के द्वारा भयंकर महामारी जैसी समस्या को रोका जा सकता है जैसा कि आप लोग जानते हैं कि विश्व में अनेकों प्रकार की महामारी आई इसमें करोड़ों लोगों की जान गई और हाल के दिनों में आप लोगों ने देखा होगा कि करो ना महामारी के कारण लाखों लोगों की जान गई इसलिए सतत विकास के द्वारा महामारी कि समस्या का निवारण किया जा सकता है। 

सतत विकास का लक्ष्य (Sustainable Development Goals in Hindi)

यूनाइटेड नेशंस का एजेंडा 2030 (17 विकास लक्ष्य)

  • समाज के अंदर न्याय और शांति को स्थापित करना भी सतत् विकास का प्रमुख लक्ष्य है क्योंकि अगर समाज के अंदर में आए और शांति स्थापित नहीं होती है तो मानव जाति में टकराव और संकट की स्थिति उत्पन्न होगी इससे मानव अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। 
  • आज की तारीख में पृथ्वी पर गरीबी एक प्रमुख समस्या है अगर गरीबी को जड़ से उन्मूलन करना है तो इसके लिए सतत् विकास की जरूरत पड़ेगी। 
  • आज के तारीख में पृथ्वी के कई ऐसे स्थल है जहां पर भुखमरी जैसी गंभीर समस्या है ऐसे में अगर भुखमरी को जड़ से समाप्त करना है तो उसके लिए भी सतत् विकास की आवश्यकता पड़ेगी। 
  • भूमि संरक्षण के प्रयासों को और भी मजबूत करने के लिए सतत विकास की आवश्यकता पड़ेगी इसके बिना भूमि संरक्षण के महत्वपूर्ण कार्य जैसे – स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणाली, मृदा अपरदन, सुरक्षित जंगलों तथा जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकना इसके प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। 
  • जैसा कि आप जानते हैं कि समुद्र के अंदर भी प्रचुर मात्रा में प्रकृति संसाधन पाए जाते हैं. उनको सतत विकास के द्वारा उनके भंडार को संरक्षण करना ताकि आने वाली पीढ़ी इसका इस्तेमाल कर सकें। 
  • सतत विकास के द्वारा शहरी अंचलों के बस्तियों को सुरक्षित करना ताकि मानव के अस्तित्व को बचाया जा सके.
  • देश की अर्थव्यवस्था को अगर मजबूत करना है तो इसके लिए आपको देश के अंदर सतत विकास का उपयोग करना होगा इसके द्वारा ही देश में जो असमानता का पैमाना है उसे भी संतुलित किया जा सकता है। 
  • किसी भी देश का विकास तभी हो पाएगा जब देश के अंदर औद्योगीकरण की प्रक्रिया काफी तेजी के साथ संचालित की जाएंगी ताकि अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके इस प्रकार के चीजों को करने के लिए आपको सतत विकास का उपयोग करना होगा।
  • इसके द्वारा सभी के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध कराकर, स्वच्छ पानी व स्वच्छता की प्रणाली को सशक्त बनाना है। 
  • Sustainable development द्वारा समाज में जेंडर असमानता को को दूर करना ताकि समाज में महिलाओं के विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। 
  • Sustainable development के द्वारा सभी लोगों के लिए गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा प्रदान करना है ताकि उन्हें रोजगार के अवसर मिल सके और देश में बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सके
  • इसके द्वारा सभी आयु वर्ग के लोगो के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास करना है। 
  • सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।
  • देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
  • सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
  • स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।

सतत विकास के लिए भारत के प्रयास क्या है?

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत हमेशा ही ऐसे सभी कार्यों में भाग लेता है जो मानव हित के लिए उपकारी है भारत ने सतत विकास के लिए देश के अंदर कई प्रकार के लोग हितकारी योजना और कार्यक्रम का संचालन भी किया है। 

ताकि देश में सतत विकास की जो प्रक्रिया है उसे गति प्रदान की जा सके इसके अलावा भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ कई समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं। जिससे सतत विकास की प्रक्रिया को तेज किया जा सके इस संदर्भ में भारत में 2006 में राष्ट्रीय पर्यावरण नीति बनाई गई है बनाया गया है।

जिसके तहत भारत में पर्यावरण से जुड़े हुए सभी प्रकार के समस्याओं को दूर करना है और अधिक से अधिक पेड़ कैसे लगाया जा सके उसके लिए लोगों को जागरूक करना है. सरकार ने विकास के लिए कई प्रकार के योजनाओं और कार्यक्रम का संचालन देश के अंदर किया है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

  • राष्ट्रीय सौर ऊर्जा योजना
  • राष्ट्रीय दक्षिता ऊर्जा योजना
  • राष्ट्रीय जल अभियान
  • हरित भारत के लिए राष्ट्रीय अभियान
  • हिमालय परितंत्र को सुरक्षित रखने के लिए राष्ट्रीय अभियान

FAQs –

Q. सस्टेनेबल डेवलपमेंट क्या है?

Ans- सतत विकास का मतलब होता है कि जो भी प्रकृति संसाधन है उसका इस्तेमाल आप किस प्रकार करेंगे ताकि आने वाले पीढ़ी को इन संसाधनों के साथ कोई समझौता न करना पड़े। अगर आसान शब्दों में कहें तो उन्हें संसाधन की कमी ना हो।

Q. सस्टेनेबल डेवलपमेंट के उदाहरण क्या हैं?

Ans- सस्टेनेबल डेवलपमेंट के कुछ उदाहरण ये हैं :- पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, फसल रोटेशन, सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री, ग्रीन स्पेस, सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन, इत्यादि।

Q. सस्टेनेबल डेवलपमेंट के तीन स्तंभ क्या हैं?

Ans- सस्टेनेबल डेवलपमेंट के तीन स्तंभ ये हैं :- आर्थिक स्थिरता, सांस्कृतिक स्थिरता, सामाजिक स्थिरता इत्यादि।

Q. सतत विकास की शुरुआत कब हुई?

Ans- भारत सहित 193 देशों ने सितंबर, 2015 में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेम्ब्ली की उच्च स्तरीय मीटिंग में इसे स्वीकार किया था और 1 जनवरी 2016 से यह लागु है।

Q. भारत में कितने सतत लक्ष्य हैं?

Ans- भारत में सस्टेनेबल डेवलपमेंट के कुल 17 लक्ष्य है जिसकी पूरी जानकारी ऊपर आर्टिकल में दी गई है।

आज आपने क्या सीखा –

उम्मीद करता हूँ आप इस लेख के माध्यम से सतत् विकास क्या है? (Sustainable Development in Hindi) के बारे में विस्तार से जान पायें होंगे, एक अच्छा मनुष्य होने के नाते हम सबो को प्राकृतिक संसाधन जैसे की जल, पेड़-पौधे, भूमि जंगल, जैव विविधता और तमाम तरह के प्राकृतिक संसाधन का इस्तेमाल इस प्रकार करे की भविष्य में आने वाली पीढ़ियों भी इन्हे इस्तेमाल कर सके। 

आशा करता हूँ ये आर्टिकल अच्छा और ज्ञानवर्धक लगा होगा इसे आप अपने दोस्तों, सग्गे सम्बन्धियों के साथ-साथ सोशल साइट्स जैसे की Facebook, Twitter आदि पर भी जरूर शेयर करें, किसी भी प्रकार का सवाल, सुझाव आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है, धन्यवाद!

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